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लेखनी कहानी -24-Oct-2022 मेरी दीपावली

आज दीपावली का दिन है इसलिए आज सुबह जल्दी ही जग गया था । आज के दिन तो प्रकाश की किरणें सर्वप्रथम मुझ पर ही पड़नी चाहिए तभी तो वर्ष भर जीवन में उजियारा रहेगा , यही सोचकर शुभ मुहूर्त में ही जाग गया और नहा धोकर तैयार हो गया । पूजा की तैयारी करने लगा । मिठाई का पैकेट, ड्राई फ्रूट्स का पैकेट, फलों की टोकरी और पटाखों का एक छोटा पैकेट साथ में लिया और एक गुलाब की खूबसूरत माला लेकर मैं जैसे ही चलने को उद्यत हुआ तो पीछे से श्रीमती जी ने टोक दिया 
"सुबह सुबह इतना सजधज कर कहां चल दिये ? आप तो भगवान की पूजा कर रहे थे ना , उसका क्या हुआ" ? 
"उसी के लिए तो जा रहा हूं, भाग्यवान" 
"पर कहां" ? 
"अपने भगवान के पास" 
"अपने भगवान ? कौन से भगवान की बात कर रहे हो ? अपने भगवान तो बिराज रहे हैं मंदिर में" 
"अरी भाग्यवान, आजकल अपने भगवान ये नहीं वो हैं । मतलब पार्षद जी" 
"क्या" ? वह आश्चर्य से चीखकर बोली । 
"हां वही । उन्होंने ही तो मेरा स्थानांतरण नहीं होने दिया इस विद्यालय से वरना तो इस साल स्थानांतरणों की जो 'आंधी' चली थी, उसमें बड़े बड़े दरख्त उड़ गये थे । पर मेरा विकेट सही सलामत रहा था । जानती हो किसकी कृपा से ऐसा हुआ" ? 
"भगवान की कृपा से ही हुआ होगा और किसकी कृपा होगी" ? 
"ऊपरवाले भगवान की कृपा से नहीं अपितु पार्षद भगवान की कृपा से यह सब संभव हुआ है । इसलिए आज दीपावली के दिन सर्वप्रथम मैं उन्हीं की पूजा करने जा रहा था । साथ में "पूजन सामग्री" भी है । पार्षद भगवान का खुश होना बहुत जरूरी है । अगर वे नाराज हो गये तो पता नहीं कहां ट्रांसफर करा दें । अपने विधायक जी के "खासमखास" हैं वे । मैं वहीं जा रहा हूं" । और बिना आगे प्रश्नोत्तरी किये हुए मैं चल पड़ा । 

पार्षद महोदय के घर पर बड़ी चहल पहल थी । लोगों का हुजूम उमड़ा पड़ा था वहां पर । अधिकतर सरकारी कर्मचारी थे जो या तो स्थानांतरण कराना चाहते थे या जिनका स्थानांतरण हो चुका था या जिनका स्थानांतरण नहीं होने दिया गया था । सब लोग "पूजन सामग्री" के साथ आये थे । पूरा हॉल खचाखच भरा हुआ था । 

मैं चुपके से पार्षद जी के पी ए से मिला और दीपावली की बधाई के साथ एक किलो काजू कतली का पैकेट उसके हाथों में थमाकर कहा "आपके बच्चों के लिये" । वह मिठाई का पैकेट हाथ में लेकर धीरे से बोला "साहब तो अभी विधायक जी के घर गये हैं दीपावली मिलन के लिए" । 

मैं तुरंत वहां से निकल आया और विधायक जी के घर पहुंच गया । वहां पर तो मेला लग रहा था । चपरासी से लेकर तहसीलदार, थानेदार, बाबू सब वहां पर खड़े हुये थे । "दलालों" की पूरी टोली थी और नेता , चमचे और छुटभैयों की पूरी फौज थी वहां पर । पर पार्षद जी वहां नजर नहीं आये । मैंने वही फॉर्मूला अपनाया तो विधायक जी के पी ए ने कहा कि साहब तो सी एम साहब के यहां गये हैं दीवाली की राम राम करने । आपके पार्षद जी भी उनके साथ हैं" । 

मैं दौड़ा दौड़ा मुख्यमंत्री निवास पहुंचा । पूरा सचिवालय उपस्थित था वहां पर । सारे अधिकारी, पुलिस के बड़े अधिकारी, बड़े नेता, विधायक, प्रमुख, प्रधान , उद्योगपति,  स्वयंसेवी संगठन, मीडिया के खैराती सिंह , सत्ता के दलाल सभी लोग थे । वहीं पर पार्षद जी भी नजर आ गये । वे विधायक जी के चरणों में बैठे हुए थे । उस दृश्य को देखकर मैं भाव विभोर हो गया । एक "भक्त" अपने "भगवान" के चरणों में बैठकर आशीर्वाद ले रहा था । 

इतने में अंदर से मुख्यमंत्री आये और सब लोग उनके पैर छूने लगे । 80 साल के विधायक जी तो 50 साल के मुख्यमंत्री जी के चरणों में लेट ही गये थे । उनकी देखादेखी दूसरे लोग भी साष्टांग करने लगे । बड़ा मनोहारी दृश्य था । मैंने अपना मोबाइल निकाला और वीडियो बनाने लगा । इतने में सी एम साहब का पी ए फोन लेकर दौड़ता हुआ आया "हाईकमान का फोन है सर" 

हाईकमान का नाम सुनते ही मुख्यमंत्री महोदय वहीं जमीन पर दंडवत लेट गये और बोले 
"प्रणाम माते" 

मेरा माथा चकरा गया । मैं पार्षद को भगवान समझ रहा था मगर पार्षद के भगवान विधायक जी हैं । विधायक जी के भगवान मुख्यमंत्री हैं और उनकी भगवान "राजमाता" हैं । मतलब दुनिया गोल है । यहां हर एक का कोई न कोई "भगवान" बना हुआ है और अपने "भगवान" की "सेवा" करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है । सब लोग अपने अपने भगवान को "चढावा" चढा रहे हैं । हाईकमान के लिए मुख्यमंत्री ने एक ट्रक सामान भिजवा दिया था । 

मैं तो अपने भगवान पार्षद जी को अपना चेहरा दिखाकर और उन्हें "भेंट पूजा" देकर अपने घर आ गया । इस तरह मैंने एक साल के लिए अपना लाइसेंस रिन्यू करा लिया । अगली दीपावली के बारे में अगले साल सोचेंगे । इस तरह मेरी दीपावली बहुत शानदार रही । 

श्री हरि 
24.10.22 


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6 Comments

Alka jain

13-Nov-2022 10:35 AM

Nice

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Abeer

27-Oct-2022 10:26 PM

बहुत सुंदर 👌

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Pratikhya Priyadarshini

27-Oct-2022 01:44 AM

Bahut khoob 🙏🌺

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